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Tuesday, December 29, 2020

कोरोना से रिकवरी के बाद दिमाग में खून के 400 थक्के मिले, मरीज कोमा में पहुंचा; देश का पहला ऐसा मामला

कोरोना से जूझने के बाद दिमाग में खून के थक्के जमने का मामला सामने आया है। यह देश का पहला ऐसा मामला है। जम्मू के रहने वाले 55 साल के मिथिलेश लम्ब्रू कोरोना से रिकवरी के बाद कोमा में चल गए थे। डॉक्टर्स का कहना है, मरीज पोस्ट कोविड एनसेफेलाइटिस से जूझ रहा था। उसके दिमाग में खून के 400 थक्के मिले थे। मिथिलेश का इलाज दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में किया गया।

कब, क्या हुआ, पढें पूरा मामला

कुछ महीने पहले मिथिलेश कोरोना से संक्रमित हुए। लक्षण हल्के थे, इसलिए वो घर में ही क्वारेंटाइन हो गए। धीरे-धीरे हालत बिगड़ी। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें जम्मू के अस्पताल में भर्ती किया गया। जांच में सामने आया कि कोरोना के कारण उन्हें निमोनिया हो गया। डॉक्टर्स ने इसे कोविड-निमोनिया बताया और मरीज को वेंटिलेटर रखा।

मरीज डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से भी जूझ रहा था। नाजुक होती स्थिति को कंट्रोल करने के लिए स्थानीय डॉक्टर्स ने इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल की टीम से सम्पर्क किया। यहां से डॉक्टर्स की टीम बनाकर जम्मू भेजी गई। जो मरीज के ऑक्सीजन लेवल को कंट्रोल करते हुए उसे एयर एम्बुलेंस के जरिए दिल्ली लाई।

मरीज को दिल्ली लाने के बाद इलाज के लिए 1 दिसम्बर को सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. राजेश चावला के नेतृत्व में डॉक्टर्स की एक टीम बनाई गई। डॉ. राजेश चावला ने भास्कर को बताया, जब टीम जम्मू पहुंची तो मरीज की हालत नाजुक थी। फेफड़ों पर निमोनिया का असर बहुत ज्यादा था। इसलिए पहले इस स्थिति को सामान्य किया गया फिर उसे दिल्ली लाया गया।

जम्मू के हॉस्पिटल में भर्ती मिथिलेश की हालत बिगड़ने पर उसे एयर एम्बुलेंस से दिल्ली लाया गया और अपोलो हॉस्पिटल में इलाज शुरू किया गया।

वेंटिलेटर से हटाने के बाद नहीं आया होश

अपोलो के कोविड आईसीयू वार्ड में मरीज को भर्ती किया गया। 2 दिन के अंदर कोविड-निमोनिया के लक्षणों में कमी आने लगी। कोरोना का दिमाग पर गहरा असर होने के कारण मरीज अचानक कोमा में चला गया।

सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. विनीत सूरी का कहना है, आमतौर पर जब कोविड-निमोनिया से ठीक होने वाले मरीज़ को वेंटिलेटर से हटाया जाता है तो कुछ घंटे बाद उसे होश आ जाता है लेकिन मिथिलेश के साथ ऐसा नहीं हुआ।

उनकी MRI करने पर पता चला कि उनके दिमाग में 400 से ज्यादा खून के थक्के जमे थे।

विज्ञान की भाषा में इसे कोविड एनसेफेलाइटिस कहते हैं। इसका इलाज शुरू हुआ। इम्यून थैरेपी और स्टेरॉयड दिए गए। मरीज की हालत में सुधार हुआ और 7 दिन के अंदर वह होश में आ गया। कुछ दिनों तक हाथ-पैर में कमजोरी दिखी।

मरीज की दोबारा MRI की गई। रिपोर्ट में सामने आया कि वह 50 फीसदी से अधिक ठीक हो गए हैं। 26 दिसम्बर को मरीज डिस्चार्ज कर दिया गया।

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कोमा में जाने के बाद मिथिलेश को 7 दिन बाद होश आया। 26 दिसम्बर को उन्हें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया।


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