बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान इस दुनिया को अलविदा कह चली हैं। निधन से पहले उनसे आखिरी बार भास्कर की बातचीत 6 अप्रैल को हुई थी। बात करने का उद्देश्य 7 अप्रैल को आने वाला जितेंद्र का बर्थडे था। सरोज खान ने जितेंद्र के तमाम गाने कोरियोग्राफ किए हैं। उन्होंने जितेंद्र के जन्मदिन पर भर मुंह आशीर्वाद दिया था। कुछ इस तरह जैसे मांं अपने बेटे को जन्मदिन पर आशीर्वाद देती हो। इंडस्ट्री में पैर जमाने से लेकर जितेंद्र की फेवरेट बनने के बारे में उन्होंने कई दिलचस्प किस्से सुनाए।
पहले सेलेब स्टूडेंट थे जितेंद्र
मैं जब इंडस्ट्री में नई-नई आई थी, तब लोग मुझ पर भरोसा नहीं करते थे कि मैं डांस डायरेक्टर बन सकती हूं। तभी जितेंद्र का फेवरेट था- कमल मास्टर, जो कि मेरा ही स्टूडेंट था और उसने मुझसे ही 5 साल सीखा था। लेकिन लोगों को यह बात मालूम नहीं थी। मेरे मास्टर बी. सोहनलाल साहू के पास कमल मास्टर सीखने आए थे लेकिन वह लड़कों को नहीं सिखाते थे, क्योंकि वह लड़कों से धोखा खा चुके थे।
तब सोहनलाल साहू कि मैं असिस्टेंट थी। उन्होंने मुझसे कहा कि कमल को तुम सिखाओ। फिर तो 5 साल तक मेरे हाथ के नीचे सीखा और बाद में हम दोनों पार्टनर्स बन गए। टाइटल में एक ही नाम आता था- कमल का। लेकिन कंपोज मैं करती थी और पिक्चराइज वह करने जाता था।
पहली कामयाबी का नहीं मिला क्रेडिट
एक पिक्चर जो वालिया मूवीटोन बना रहे थे- जिसमें तनुजा और संजीव कुमार थे। उसका गाना बहुत हिट हो गया। फिर तो लोग नेचुरली पूछने लगे कि यह गाना किसने किया। कमल मास्टर ने कहा कि मैंने किया। उन्होंने यह नहीं कहा कि मैं और सरोज, दोनों ने मिलकर किया। फिर तो उसका नाम हो गया और वह आगे निकल गया। बड़ी-बड़ी पिक्चरें करने लगा। जीतेंद्र का फेवरेट बन गया।
उसी दौरान जितेंद्र का एक गाना था, जिसके लिए कमल नहीं मिल रहा था। उन्होंने एक मास्टर को बुलाया उनके साथ एक दिन पिक्चराइज किया। लेकिन बात नहीं बनी तो उनको निकाल दिया। दूसरे दिन एक और मास्टर बसंत नेपाली को पिक्चराइज करने के लिए बुलाया और उनको भी एक ही दिन में निकाल दिया। तीसरे दिन मुझको बुलाया गया। तब मैं सेट पर लड़के लड़कियों के साथ बस में गई। जब लोकेशन पर पहुंची, तब मैंने कहा कि पहले जितेंद्र से पूछ लीजिए कि वे मुझे वापस तो नहीं भेजेंगे। अगर नहीं भेजेंगे तो गाना पिक्चराइज करूं वरना नहीं करूं। जीतू खुद आकर बोले कि नहीं मास्टर मैं आपका ही गाना रखूंगा। फिर मैंने वह गाना उन्हें करके दिया।
16 साल में किया था पहला गाना कोरियोग्राफ
जितेंद्र को मेरा काम बहुत पसंद आया। फिर तो उनके साथ काम का सिलसिला ऐसा चला कि हमने बहुत सारी पिक्चरें साथ में किया। उस पिक्चर का नाम तो याद नहीं है। तब मैं 16-17 साल की थी। क्योंकि मैं 14 साल में डांस डायरेक्टर बन गई थी। उनके साथ ज्यादातर मद्रास की पिक्चरें की, जिसमें उनके साथ श्रीदेवी फिल्म में हो, जयाप्रदा के साथ हो या रेखा और जितेंद्र की फिल्म हो।
सीखने के मामले में जीतेंद्र बहुत स्मार्ट हैंः सरोज खान
मैं सच बोलूं तो आज सेट पर के इतने सारे किस्से याद नहीं हैं। लेकिन आज भी वही मेरी बहुत रिस्पेक्ट करते हैं। कभी-कभार कोई गाना हो या टेलीविजन पर कुछ हो, तब मुझे बुलाते जरूर हैं। हां, इतना कहना चाहूंगी कि सीखने के मामले में जीतेंद्र बहुत स्मार्ट हैं। बहरहाल कल उनका बर्थडे है। मैं उन्हें दिल से दुआ देती हूं कि अल्लाह उनकी लंबी उम्र करें, खुशी दे, सेफ्टी दे, जो आज बीमारियां चल रही है, उनसे बचा कर रखें।
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