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Wednesday, December 2, 2020

अस्थमा के मरीजों में कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा 30% कम, इसकी 3 वजह भी जान लीजिए

अस्थमा से जूझने वाले लोगों में कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा 30 फीसदी तक कम है। 37 हजार लोगों के एक ग्रुप पर हुई स्टडी में यह बात सामने आई है। रिसर्च करने वाले इजरायल के एक्सपर्ट्स का कहना है, सामान्य लोगों के पॉजिटिव होने के मुकाबले ऐसे लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई जो अस्थमा से परेशान थे।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसकी वजह अस्थमा की दवा 'कॉर्टिकोस्टेरॉयड' है। इसका काम सूजन को घटाना है। यह दवा इन्हेलर के जरिए मरीजों को दी जाती है। इसलिए महामारी के दौरान अस्थमा के मरीज दवाएं बिल्कुल न बंद करें।

संक्रमण कम होने की 3 वजह

रिसर्च करने वाली इजरायल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है, अस्थमा के मरीजों में कोविड-19 का संक्रमण कम होने की तीन वजह हैं।

  • पहली: सांस की बीमारियों से जूझने वाले मरीज काफी अलर्ट हैं और खुद को बचाव करने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। ये मास्क पहन रहे हैं, सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन कर रहे हैं और साफ-सफाई का ध्यान रख रहे हैं।
  • दूसरी: कोरोना जिस ACE2 रिसेप्टर से शरीर की कोशिकाओं में एंट्री करता है अस्थमा के मरीजों में उसका कम होना। इसलिए भी संक्रमण का खतरा खत्म हुआ।
  • तीसरी: अस्थमा के मरीजों को इन्हेलर में कॉर्टिकोस्टेरॉयड दिया जाता है यह कोरोनावायरस को ACE2 रिसेप्टर के जरिए शरीर में एंट्री करने से रोकता है।

ऐसे हुई स्टडी

  • रिसर्च के लिए वैज्ञानिकों ने इजरायल के 7 लाख 25 हजार स्वास्थ्यकर्मियों का डाटा इस्तेमाल किया। इसमें से खासतौर पर 37,469 लोगों को अलग किया। फरवरी से जून 2020 के बीच इनका कोविड-19 टेस्ट हुआ था।
  • इनमें से 2,266 ऐसे लोगों का सैम्पल लिया जो पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे थे और पॉजिटिव आए थे। रिपोर्ट में सामने आया कि अस्थमा के पॉजिटिव ग्रुप में 6.75 फीसदी लोग संक्रमित निकले वहीं दूसरे वाले निगेटिव ग्रुप में 9.62 फीसदी लोग जिन्हें संक्रमण नहीं हुआ।
  • रिसर्चर्स का कहना है, हमने अलग-अलग फैक्टर जैसे जेंडर, उम्र, स्मोकिंग और दूसरी बीमारियों के खतरे के आधार पर इसका विश्लेषण किया। अस्थमा के मरीजों में 30 फीसदी तक कम खतरा दिखा।
  • जर्नल ऑफ एलर्जी एंड क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, वैज्ञानिकों का कहना है कि मेडिकल स्टाफ को अस्थमा के रोगियों का इलाज गाइडलाइन के मुताबिक ही करना चाहिए।

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