बॉलीवुड इंडस्ट्री अब तक कई मुद्दों को फिल्मों के जरिए उजागर किया जा चुका है। इसी तरह अब तक इंडस्ट्री में कई ऐसी फिल्में बनाई जा चुकी हैं जो देश के सबसे सेंसिटिव मुद्दे धर्म का एक अलग रूप दर्शाती हैं। ये फिल्में जहां नाजुक मुद्दा होने पर विवादों में रही हैं वहीं कुछ ऐसी भी हैं जो लोगों को सीख दे जाती हैं।
पीके
साल 2014 में रिलीज हुई आमिर खान और अनुष्का शर्मा स्टारर फिल्म पीके एक बड़ी हिट साबित हुई। फिल्म में दिखाया गया है कि एक एलियन रिसर्च मिशन पर भारत पहुंचता है जहां तुरंत ही उसका सिग्नल भेजने वाला यंत्र गांव के व्यक्ति द्वारा चोरी कर लिया जाता है। अपने यंत्र की तलाश में उसका सामने कुछ अंधविश्वास फैलाने वालों से होता है। क्योंकि आमिर एक एलियन हैं इसलिए उनका हर चीज को देखने का नजरिया बेहद अलग है। फिल्म के जरिए देश में धर्म को गलत तरह से पेश करने वाले बाबाओं का भी भांडा फोड़ा गया है। पीके साल 2014 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म रही थी। जहां एक तरफ सिनेमाघरों में फिल्म को पसंद किया जा रहा था वहीं विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के लोगों ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था।
ओह माय गॉड
साल 2012 में रिलीज हुई फिल्म ओह माय गॉड में अक्षय कुमार और परेश रावल ने लीड भूमिका निभाई थी। फिल्म में परेश रावल ने कांजीलाल मेहता नाम के एक व्यापारी की कहानी दिखाई गई है जो भगवान की मूर्तियां तो बेचता है मगर असल में नास्तिक है। एक दिन अचान भूकंप के कारण उसकी दुकान में आग लग जाती है और उसे भारी नुकसान होता है। जब कांजी इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम मांगते हैं तो उन्हें बताया जाता है कि आपदा या एक्ट ऑफ गॉड के कारण हुए नुकसान पर मुआवजा नहीं दिया जाता। इससे नाराज होकर कांजी भगवान के खिलाफ केस दर्ज कर देते हैं।
सभी वकीलों द्वारा केस लेने से इनकार कर दिए जाने पर कांजी खुद अपना केस लड़ते हैं। इस दौरान कांजी हर धर्म के गुरुओं को मंदिर के ट्रस्टीज से अपना मुआवजा मांगते हैं। इस दौरान उन्हें कई अंध भक्तों का आक्रोश झेलना पड़ता है। फिल्म में धर्म को गलत तरह से पेश करने वालों का भी पर्दाफाश किया गया है। नाजुक मुद्दा होने के कारण देश की कई जगहों में इसकी स्क्रीनिंग रोक दी गई थी। एक साल बाद मध्य प्रदेश के हाइकोर्ट ने सेंसर बोर्ड से फिल्म में हिंदु धर्म के खिलाफ बोले गए डायलॉग्स पर एक्शन लेने को कहा गया।
माय नेम इज खान
करण जौहर द्वारा निर्देशित फिल्म माय नेम इज खान साल 2010 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में शाहरुख खान ने रिजवान खान नाम के ऐसे शख्स का किरदार निभाया था जो एस्पर्गर्स सिंड्रोम का शिकार था। फिल्म में दिखाया गया है 9-11 हमले के बाद मुस्लिम वर्ग के लोगों को किस तरह भेदभाव झेलना पड़ा। एक झड़प के दौरान रिजवान के स्टेप-सन का मर्डर हो जाता है। उसकी मां काजोल एक हिंदू हैं जिनका मानना है कि उनका बेटा इसलिए मारा गया क्योंकि उसका नाम खान था। नाराज काजोल पति से कहती हैं कि वो पूरी दुनिया को बताएं कि खान टेरेरिस्ट नहीं है। इसके बाद रिजवान तय करते हैं कि वो यूके के प्रेसीडेंट से मिलकर कहेंगे, माय नेम इज खान, एंड आई एम नॉट ए टेरेरिस्ट।
फिल्म रिलीज के पहले शाहरुख खान ने आईपीएल में पाकिस्तानी प्लेयर्स को बैन करने पर कहा था कि उन्हें भी टीम में लिया जाना चाहिए। उनके इस बयान से काफी विवाद खड़ा हो गया था जिसके बाद उनकी फिल्म का काफी विरोध किया गया था।
धर्म-संकट में
साल 2015 में रिलीज हुई फिल्म धर्म संकट सेंसेटिव मामला होने के कारण काफी विवादों में थी। फिल्म में दिखाया गया है कि धर्मपाल (परेश रावल) मुस्लिम वर्ग के खिलाफ बातें करता है। इसी बीच उसे अचानक पता चलता है कि उसके बायोलॉजिकल पैरेंट्स मुस्लिम थे और उसे हिंदु परिवार ने गोद लिया था। इसके बाद वो धर्म का असली मायने समझने के सफर पर निकलता है। नाजुक मुद्दा होने के कारण सेंसर बोर्ड ने हिंदु और मुस्लिम गुरुओं को बुलाकर फिल्म दिखाई थी जिससे वो इसे सुपरवाइज कर सकें। फिल्म के कुछ भडकाऊ बयानों को हटाने के बाद ही फिल्म रिलीज हो सकी थी।
वॉटर
दीपा मेहता द्वारा निर्देशित फिल्म वॉटर साल 2005 में रिलीज हुई थी। फिल्म में दिखाया गया था कि देश में विधवाओं की हालत कैसी है। देश के कुछ हिस्सों में आज भी विधवा महिलाओं को दोबारा शादी करने की इजाजत नहीं है साथ ही उन्हें विधवा जीवन बिताते हुए पूरी जिंदगी आश्रम में गुजारनी पड़ती है। फिल्म में विधवा प्रथा निभाने वाली औरतों की जिंदगी में रोशनी डाली गई है। फिल्म रिलीज होने के पहले ही मेकर्स को कापी विवादों का सामना करना पड़ा था। कई बार तो शूटिंग सेट पर हमला भी किया गया। कुछ संस्थाओं ने शूटिंग रोकने के लिए सुसाइड प्रोटेस्ट का भी सहारा लिया था।
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