कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ब्राजील में जानलेवा कैंडिडा ऑरिस फंगस के इंफेक्शन का पहला मामला सामने आया है। यह दुर्लभ फंगस है जिस पर ज्यादातर दवाएं भी बेअसर हैं। इसका संक्रमण होने पर मौत का खतरा 60 फीसदी तक है। ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है।
ब्राजील की हेल्थ एजेंसी ने सोमवार को अलर्ट जारी करते हुए कहा, एक मरीज में रेयर फंगल इंफेक्शन का मामला सामने आया है। मरीज बाहिया राज्य के एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इस मामले की स्टडी की जा रही है और संक्रमण को रोकने की कोशिश भी की जा रही है।
क्यों इतना खतरनाक है कैंडिडा ऑरिस, 5 पॉइंट्स में समझें
1. मरीज और स्वास्थ्यकर्मियों के बीच तेजी से फैल सकता है
इसका पहला मामला जापान में 2009 में सामने आया था। इसके बाद ब्रिटेन में 2013 में अमेरिका में 2016 में मामले सामने आए। यह हॉस्पिटल में मरीज और स्वास्थ्यकर्मियों के बीच तेजी से फैल सकता है।
इसके मामले उन लोगों में सामने आते हैं जो हॉस्पिटल में भर्ती हैं और पहले से बीमार हैं। अगर बुखार है या कंपकंपी लग रही है और एंटीबायोटिक्स देने के बाद भी लक्षण लगातार दिख रहे हैं तो यह कैंडिडा ऑरिस के संक्रमण का इशारा है।
2. ब्लड के जरिए पूरे शरीर में सर्कुलेट हो सकता है
अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी CDC के मुताबिक, कई देशों में इस फंगस के गंभीर मामले सामने चुके हैं। यह मरीजों के ब्लड में पहुंचकर पूरे शरीर में सर्कुलेट हो सकता है। ब्लड टेस्टिंग करके इसका पता लगाया जाता है।
3. इस पर आम एंटीफंगल दवाओं का असर नहीं होता
इस फंगस पर आम एंटीफंगल ड्रग्स का असर नहीं होता। इसलिए संक्रमण होने पर इलाज करना मुश्किल हो जाता है। यह ब्लड के जरिए घाव करता है और कान में संक्रमण फैलाता है। अब सामने आईं जांच रिपोर्ट के मुताबिक, यह नाक और यूरिन के सैम्पल में भी पाया जाता है।
4. ज्यादा खतरा हॉस्पिटल में भर्ती नाजुक हालत वाले मरीजों को
CDC के मुताबिक, इसका सबसे ज्यादा खतरा हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों को है। इसके अलावा उन्हें है जिनका इलाज ट्यूब के जरिए किया जा रहा है, जैसे फीडिंग ट्यूब, ब्रीदिंग ट्यूब। डायबिटीज के मरीज, जिनकी हाल ही में सर्जरी हुई है और एंटीबायोटिक-एंटीफंगल दवाएं लेने वालों को भी खतरा ज्यादा है।
5. क्या इससे मरीज की मौत हो सकती है?
हां, हो सकती है। अगर ब्लड में संक्रमण फैल चुका है तो मौत का खतरा 30 से 60 फीसदी तक रहता है। इससे बचने के लिए हॉस्पिटल में चीजों को डिसइंफेक्ट करने को कहें। साफ-सफाई का ध्यान रखें। हॉस्पिटल में इस्तेमाल होने वाले परदों को भी सैनेटाइज करना जरूरी है।
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