अब कान के मैल यानी ईयर वैक्स से शुरुआती स्तर पर ही डायबिटीज का पता लगाया जा सकेगा। टेस्टिंग के दौरान ईयर वैक्स से ग्लूकोज का लेवल जांचा जाएगा। टेस्ट को विकसित करने वाले यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के एक्सपर्ट का दावा है कि यह 60 फीसदी तक सटीक परिणाम बताता है और सस्ता भी है। इसे महीने में एक बार कराया जा सकता है जैसे ब्लड टेस्ट होता है।
हर 2 में से एक इंसान डायबिटीज से अंजान
वैज्ञानिकों का कहना है, यह टेस्ट घर पर आसानी से किया जा सकता है और इसके लिए किसी एक्सपर्ट की जरूरत नहीं होती। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के वैज्ञानिक एंड्रेज हेरेन कहते हैं, डायबिटीज के आंकड़े बताते हैं कि हर दो में से एक इंसान इस बीमारी से अंजान रहता है।
कोरोनाकाल में ऐसे मरीजों की हालत नाजुक हो सकती है
एंड्रेज कहते हैं, डायबिटीज होने के बावजूद लोग इससे अंजान रहते हैं तो ऐसे लोगों के लिए कोरोनाकाल में खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। इसलिए स्क्रीनिंग का यह तरीका लोगों को राहत देने वाला है क्योंकि वर्तमान में ब्लड टेस्ट के जरिए ग्लूकोज का लेवल चेक किया जा रहा है यह भी उतना विश्वसनीय नहीं होता।
ऐसे करते हैं जांच
जांच के लिए वैज्ञानिकों ने एक डिवाइस तैयार की है। जो कान से स्वैब सैम्पल लेती है। इसके बाद सैम्पल को खास तरह के सॉल्यूशन में डुबोया जाता है। ग्लूकोज बढ़ा हुआ है या नहीं, पता चलता है।
इस रिसर्च में 37 ऐसे लोगों को शामिल किया गया था जिन्हें डायबिटीज नहीं थी। एंड्रेज कहते हैं, हम लम्बे समय से ऐसे टेस्ट पर काम कर रहे थे जिससे किसी भी समय ग्लूकोज का लेवल चेक किया जा सके। अब रिसर्च में बड़े स्तर पर डायबिटीज के रोगियों को शामिल करेंगे।
कान के मैल से स्ट्रेस भी पता चलता है
इससे पहले हुई स्टडी में यह सामने आया थ कि कान के मैल से स्ट्रेस का पता भी लगाया जा सकता है। रिसर्चर्स ने दावा किया था कि जांच के लिए विकसित की गई डिवाइस सैम्पल में स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल का पता लगाती है। सैम्पल में इस हार्मोन की मौजूदी से पता चलता है कि इंसान तनाव या डिप्रेशन में है या नहीं।
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