40-50 के दशक के मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर सी. रामचंद्र की 5 जनवरी को 39वीं पुण्यतिथि है। रामचंद्र को क्रांतिकारी संगीतकार माना जाता था, क्योंकि उन्होंने मधुर और सोबर म्यूजिक के दौर में वेस्टर्न म्यूजिक को लाने का काम किया था। इन दिनों रामच्रंद का ही तैयार किया हुआ गाना 'ओ बेटा जी किस्मत की हवा कभी गरम, कभी नरम..' वायरल है। यह गाना 1951 में रिलीज हुई कॉमेडी फिल्म अलबेला का है।
कई नामों से करते थे काम
बात अगर रामचंद्र के फिल्म इंडस्ट्री में आने की करें तो कॅरियर की शुरुआत एक्टर के तौर पर यूबी राव की फिल्म 'नागानंद' से की थी। उनकी मुलाकात महान सोहराब मोदी से हुई। मोदी ने रामचन्द्र को सलाह दी कि वे यदि संगीत की ओर ध्यान दें तो कामयाब हो सकते हैं। इसके बाद रामचन्द्र 'मिनर्वा मूविटोन' के बिन्दु खान और हबीब खान के ग्रुप में शामिल हो गए। वे ग्रुप में हारमोनियम वादक थे। म्यूजिक डायरेक्टर के रूप में उन्हें सबसे पहले एक तमिल फिल्म मिली थी।
उन्होंने रामचंद्र नरहर चितलकर, अन्ना साहेब, राम चितलकर, श्यामू, आर एन चितलकर और चितलकर नाम से तमिल, मराठी, हिंदी फिल्मों में काम किया।
अलबेला से ही मिली थी रामचंद्र को पहचान
फिल्म 'अलबेला' की कामयाबी के बाद सी. रामचन्द्र फिल्मी दुनिया में जम गए। वैसे तो अलबेला में उनके सभी गाने सुपरहिट हुए, लेकिन शोला जो भड़के दिल मेरा धड़के, भोली सूरत दिल के खोटे नाम बड़े और दर्शन छोटे, मेरे पिया गए रंगून, किया है वहां से टेलीफोन आदि गीतों ने धूम मचा दी। हाल ही में वायरल हुआ गाना ओ बेटा जी... चितलकर ने ही गाया है।
अलबेला में भगवान दादा, गीता बाली मेन लीड में थे। 1951 में बॉक्स ऑफिस पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाली यह तीसरी फिल्म थी।
रामचंद्र से जुड़ी कुछ खास बातें
सी. रामचन्द्र ने अपने चार दशक के लंबे सिने करियर में लगभग 150 फिल्मों में म्यूजिक दिया था। सबसे ज्यादा मशहूर देशभक्ति गीत ऐ मेरे वतन के लोगों का म्यूजिक भी सी रामचंद्र ने ही तैयार किया था। अपने 64वें जन्मदिन से ठीक एक हफ्ते पहले रामचंद्र का निधन हो गया था। रामचंद्र ने अपनी बायोग्राफी 'द सिम्फनी ऑफ माय लाइफ' भी लिखी थी।
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