देश में 60 साल से अधिक उम्र के दो में से एक इंसान गंभीर बीमारी से जूझ रहा है। देश के 7.5 करोड़ बुजुर्ग में से 40% लोग किसी न किसी विकलांगता से जूझ रहे हैं। 20% मानसिक समस्या से परेशान हैं। 27% ऐसे भी हैं जो कई तरह की बीमारियों से लड़ रहे है। यह आंकड़ा हेल्थ मिनिस्ट्री के एक सर्वे में जारी किया गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन के मुताबिक, बुजुर्गों पर हुआ यह दुनिया का सबसे बड़ा सर्वे है। जिसकी पहली सर्वे रिपोर्ट जारी की गई है। सर्वे में देश के 45 साल से ऊपर के 72,250 लोगों शामिल किया गया है।
2050 में बुजुर्गों की आबादी बढ़कर 31.9 करोड़ हो जाएगी
सर्वे के मुताबिक, साल 2011 की जनगणना में 60+ आबादी भारत की आबादी का 8.6% थी यानी 10.3 करोड़ लोग बुजुर्ग थे। साल 2050 तक भारत में 30 करोड़ से अधिक आबादी 60 साल से ऊपर की होगी। हर साल 3% की वृद्धि दर के साथ 2050 में वृद्धजनों की आबादी बढ़कर 31.9 करोड़ हो जाएगी।
भारत में तेजी से बढ़ रही बुजुर्गों की आबादी
नीति आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2003 तक भारत में हर महिला के औसतन 3 बच्चे होते थे। लेकिन, 2017 में लैंसेट में प्रकाशित यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन की रिपोर्ट के मुताबिक यह आंकड़ा प्रति महिला करीब 2.2 तक पहुंच गया है। यानी जनसंख्या वृद्धि दर मंद पड़ चुकी है। अगर यह दर 2.1 हो गई तो यह रिप्लेसमेंट रेट पर पहुंच जाएगी। यानी जन्म दर 2.1 होने पर जनसंख्या नहीं बढ़ेगी। उतने ही लोग पैदा होंगे, जितनों की मौत होगी।
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