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Saturday, January 2, 2021

बच्चा पलकें अधिक झपकाता है, आंखों को बार-बार मलता है तो आंखों की जांच कराएं

एक सर्वे के मुताबिक, मात्र 46% पेरेंट्स ही बच्चों की आंखों की जांच कराते हैं। एक्सपर्ट कहते हैं, आंखों की जांच नवजात के जन्म के बाद से ही शुरू होनी चाहिए। छोटी-मोटी दिक्कतों को दवाइयों से ठीक किया जा सकता है। जांच में लापरवाही से चश्मा लग सकता है और चश्मा लग चुका है तो नम्बर बढ़ सकता है। आई एंड ग्लूकोमा एक्सपर्ट डॉ. विनीता रामनानी बता रही हैं, बच्चों की आंखों की जांच क्यों जरूरी है।

सबसे पहले जानिए, जांच कब कराएं
बच्चों की 75% सीखने की क्षमता आंखों पर निर्भर है। आंख की जांच करने के लिए इसकी शुरुआत जन्म से हो जानी चाहिए। कम वजन वाले और समय से पहले पैदा हुए बच्चे की आंखों की जांच जरूरी होनी चाहिए। नवजात को रतौंधी से बचाने के लिए विटामिन-ए की खुराक जरूर पिलवाएं।

3 साल की उम्र के बाद पहली ग्रेड में जाने से पहले एक बार आंखों की जांच कराएं। इसके बाद हर 2 दो साल पर आई टेस्ट करा सकते हैं।

बच्चों में ये लक्षण दिखें तो नजरअंदाज न करें
आंखों में संक्रमण, पुतलियों पर सफेदी, जन्मजात मोतियाबिंद, डिजिटल स्ट्रेन जैसी दिक्कतों की वजह जानने के लिए आंखों की जांच जरूरी है। इसके अलावा सिरदर्द रहना, आंखों में पानी भरना, जलन होना और बार-बार रगड़ना भी आंखों में परेशानी होने का इशारा करते हैं। बच्चों में ऐसे लक्षण दिखने पर आई एक्सपर्ट की सलाह लें।

बच्चे गैजेट्स के साथ समय बिताते हैं तो ये ध्यान रखें
गैजेट्स से निकलने नीली रोशनी आंखों पर लगातार पड़ने से इनमें पहले रुखापन आता है फिर मांसपेशियों पर जोर पड़ता है। लम्बे समय तक ऐसा होने से आंखें कमजोर हो जाती हैं। इनकी दूर की नजर कमजोर होने का खतरा ज्यादा रहता है, इसे मायोपिया कहते हैं। लगातार ऐसा होने पर चश्मा लग सकता है और जो पहले से लगा रहे हैं उनका नम्बर बढ़ सकता है।

एक हालिया रिसर्च के मुताबिक, अगर बच्चों में गैजेट का इस्तेमाल ऐसे ही बढ़ता रहा तो 2050 तक 50 फीसदी बच्चों को चश्मा लग जाएगा। बच्चे गैजेट का इस्तेमाल करते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखें...

  • लैपटॉप की स्क्रीन और आंखों के बीच कम से कम 26 इंच की दूरी होनी चाहिए।
  • मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं तो यह दूरी 14 इंच होनी चाहिए। हालांकि यह हाथों की लम्बाई पर भी निर्भर करता है।
  • स्क्रीन की ब्राइटनेस और कंट्रास्ट को कम रखें, ताकि आंखों पर ज्यादा जोर न पड़े।
  • स्क्रीन पर एंटीग्लेयर शीशा हो तो बेहतर है या फिर खुद एंटीग्लेयर चश्मा लगाएं।
  • स्क्रीन पर दिखने वाले अक्षरों को सामान्य तौर पर पढ़े जाने वाले अक्षरों के साइज से 3 गुना ज्यादा रखें।


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Children Eyesight Test; How To Know If Your Child Has Bad Eyesight? Evertything You Need To Know About Serious Symptoms


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